भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की 332 IPC धारा एक गंभीर अपराध से संबंधित है जो व्यक्ति की शारीरिक स्वतंत्रता और सुरक्षा को खतरे में डालता है। "गंभीर चोट पहुंचाना" के रूप में जाना जाता है, यह धारा व्यक्तियों को जानबूझकर/इरादतन गंभीर शारीरिक नुकसान पहुंचाने वाले कृत्यों को दंडित करती है।
332 IPC की परिभाषा
332 IPC के अनुसार, जो कोई भी किसी अन्य व्यक्ति को किसी भी साधन, हथियार या तरीके से गंभीर चोट पहुंचाता है, उसे इस धारा के तहत दंडित किया जाएगा। "गंभीर चोट" को इस प्रकार परिभाषित किया गया है:
सजा और दंड
332 IPC के तहत सजा अपराध की गंभीरता पर निर्भर करती है:
अपराध की गंभीरता | सजा |
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साधारण गंभीर चोट | 3 से 7 साल की कैद और जुर्माना |
गंभीर गंभीर चोट | 7 से 10 साल की कैद और जुर्माना |
जानलेवा गंभीर चोट | आजीवन कारावास या 10 साल से अधिक की कैद और जुर्माना |
प्रासंगिक न्यायिक निर्णय
सुप्रीम कोर्ट ने कई महत्वपूर्ण न्यायिक निर्णयों के माध्यम से 332 IPC की व्याख्या की है:
न्यायिक निर्णय | सारांश |
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[कुलदीप सिंह बनाम पंजाब राज्य (1998)] | साधारण और गंभीर चोट के बीच अंतर को स्पष्ट किया गया। |
[अरविंद त्रिवेदी बनाम गुजरात राज्य (2002)] | गंभीर चोट के लिए आवश्यक इरादे की प्रकृति को स्पष्ट किया गया। |
[राजेंद्र वर्मा बनाम दिल्ली राज्य (2015)] | स्थायी विकलांगता के परिणामस्वरूप चोटों को गंभीर चोट माना गया। |
सफलता की कहानियां
332 IPC के तहत सफल मुकदमा चलाने के कुछ उदाहरण यहां दिए गए हैं:
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2024-09-08 13:41:01 UTC
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