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موت کا ایک دن مقرر ہے

زندگی کا سفر ایک خوبصورت اور پیچیدہ تجربہ ہے، جو لامحالہ موت کی منزل پر اختتام پذیر ہوتا ہے۔ اسلام میں یہ عقیدہ بنیادی اہمیت رکھتا ہے کہ ہر شخص کے لیے ایک مقررہ وقت ہے جب اس کی روح اس کی جسمانی شکل سے علیحدہ ہو جائے گی اور وہ آخرت کی طرف چلی جائے گی۔ قرآن مجید میں متعدد آیات اس تصور کی تصدیق کرتی ہیں، جیسے:

"ہر ذی روح کو موت کا مزہ چکھنا ہے۔" (قرآن، 3:185)

"اور یقیناً تم کو موت آئے گی اور اس دن تمہیں (اپنے اعمال کی) جزا دی جائے گی۔" (قرآن، 29:57)

maut ka ek din muayyan hai in urdu

موت کا وقت معلوم نہیں

اگرچہ یہ بات مسلم ہے کہ موت ہر زندہ مخلوق کے لیے یقینی ہے، لیکن اس کا وقت اور طریقہ ہمارے علم سے پوشیدہ ہے۔ نبی اکرم ﷺ نے فرمایا:

"پانچ چیزیں ایسی ہیں جن کا علم اللہ کے سوا کسی کو نہیں:

  1. قیامت کب قائم ہوگی۔
  2. بارش کب اور کہاں ہوگی۔
  3. کوکھ میں لڑکا ہے یا لڑکی۔
  4. کوئی شخص کب مرے گا۔
  5. کل کیا ہوگا۔"

(صحیح بخاری، کتاب الجنائز، حدیث 1369)

موت کا سامنا کیسے کریں؟

چونکہ ہم اپنی موت کے وقت سے لاعلم ہیں، اس لیے یہ ضروری ہے کہ ہم ہر لمحے کو اس طرح جئیں جیسے یہ ہمارا آخری لمحہ ہو۔ اس کا مطلب ہے:

  • اللہ کے احکامات پر عمل کرنا: अपने जीवन को अल्लाह के हुक्म के अनुसार जीना, भले ही वह कठिन हो।
  • اچھے اعمال کرنا: दूसरों की मदद करना, दान देना और जरूरतमंदों की मदद करना।
  • توبہ اور استغفار کرنا: अपनी गलतियों के लिए माफी मांगना और अल्लाह से मार्गदर्शन की तलाश करना।

مرنے کے بعد کیا होता ہے؟

اسلامی عقیدے کے مطابق، موت के बाद, आत्मा शरीर से अलग हो जाती है और बरज़ख नामक एक मध्यवर्ती स्थान पर चली जाती है। यहाँ, आत्मा अपने जीवन और कर्मों का लेखा देती है। क़यामत के दिन, सभी मृत जीवित हो जाएँगे और अपने कर्मों के अनुसार या तो स्वर्ग या नर्क जाएँगे।

موت کا ایک دن مقرر ہے

موت سے متعلق कहानियाँ

  • حضرت خدیجہ (رضی اللہ عنہا) की कहानी:

حضرت खदीजा (رضی अल्लाहु अन्हा) पैगंबर मुहम्मद (ص) की पहली पत्नी थीं। वह एक धनी और सम्मानित महिला थीं जिन्होंने पैगंबर (ص) के मिशन का दृढ़ता से समर्थन किया। जब पैगंबर (स.) की मृत्यु हुई, तो हज़रत खदीजा (रज़ियल्लाहु अन्हा) बेहद दुखी हुईं और उन्होंने अल्लाह से प्रार्थना की कि वह भी जल्द ही उन्हें मृत्यु प्रदान करें। कुछ ही समय बाद, हजरत खदीजा (رضि अल्लाहु अन्हा) का भी निधन हो गया और उन्हें पैगंबर (स.) के बगल में दफनाया गया।

  • अब्दुल्लाह इब्न उमर की कहानी:

अब्दुल्लाह इब्न उमर पैगंबर (स.) के एक साथी थे। वह एक धार्मिक और ईश्वर से डरने वाले व्यक्ति थे। एक दिन, जब वह मदीना में मस्जिद में प्रार्थना कर रहे थे, तो उन्होंने एक आदमी को ज़ोर-ज़ोर से रोते हुए सुना। इब्न उमर उसके पास गए और उससे पूछा कि वह क्यों रो रहा है। आदमी ने जवाब दिया कि वह मृत्यु से डर रहा है। इब्न उमर ने उससे कहा, "डरो मत। मृत्यु हर किसी के लिए आती है। महत्वपूर्ण बात यह है कि जब वह तुम्हें मिले तो तुम अच्छी हालत में हो।"

  • अब्दुल मजीद अज़-ज़िन्दानी की कहानी:

अब्दुल मजीद अज़-ज़िन्दानी यमन के एक प्रसिद्ध विद्वान थे। वह इस्लामी ज्ञान के एक महान स्रोत थे और उन्होंने दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित किया। अपनी मृत्यु से कुछ दिन पहले, अज़-ज़िन्दानी ने अपने दोस्तों और अनुयायियों से कहा: "मृत्यु एक पुल है जो हमें दुनिया से आख़िरत तक ले जाता है। जो लोग इस पुल को पार कर लेते हैं वे सफल होते हैं, और जो गिर जाते हैं वे विफल हो जाते हैं।"

موت का महत्व

इस्लाम में मृत्यु को जीवन का एक स्वाभाविक और अपरिहार्य हिस्सा माना जाता है। हमें मौत से नहीं डरना चाहिए, बल्कि इसे जीवन के लिए एक तैयारी के रूप में देखना चाहिए। موत हमें यह याद दिलाती है कि यह दुनिया एक अस्थायी जगह है और हमारी सच्ची यात्रा अभी बाकी है। हमें इस जीवन में अपने समय का सदुपयोग करना चाहिए और इस तरह से जीना चाहिए कि जब हम मरें तो हम पछतावा न करें।

موت के बारे में सूचना

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, दुनिया भर में हर साल लगभग 56 मिलियन लोग मरते हैं।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका में, हृदय रोग मृत्यु का प्रमुख कारण है, जिसके बाद कैंसर और स्ट्रोक हैं।
  • मृत्यु दर में गरीबी, भूख और बीमारी जैसे कारकों से मजबूत संबंध होता है।
  • दुनिया भर में, 5 साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु का प्रमुख कारण निमोनिया, दस्त और मलेरिया है।
  • मृत्यु दर में सुधार के लिए स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच, स्वच्छ पानी और स्वच्छता में सुधार, और शिक्षा जैसे कारकों में निवेश करना महत्वपूर्ण है।

निष्कर्ष

"موت का एक दिन निश्चित है" एक शक्तिशाली वाक्यांश है जो हमें जीवन की नश्वरता की याद दिलाता है। हमें इस वाक्यांश को हमेशा ध्यान में रखना चाहिए और अपने जीवन को तदनुसार जीना चाहिए। इसका मतलब है अच्छे कर्म करना, अल्लाह के हुक्म पर चलना और तौबा और इस्तिगफार करना। इस प्रकार, जब हमारी मृत्यु का समय आएगा, तो हम शांति और संतुष्टि के साथ मरेंगे, यह जानते हुए कि हमने अपना सर्वश्रेष्ठ जीवन जिया है।

Time:2024-08-16 13:10:16 UTC

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